जब भी तेरी आवाज़ हम सुनते हैं शायरी फिर नये से हम बुनते हैं आस्मान में चाहें कितने जब भी तेरी आवाज़ हम सुनते हैं शायरी फिर नये से हम बुनते हैं आस्मान में...
अभी रात है , तो डरने की क्या बात है? दिन भी निकलेगा, अंधेरे की क्या औकात है, अभी रात है , तो डरने की क्या बात है? दिन भी निकलेगा, अंधेरे की क्या औकात है,
साथ बैठने की औकात नही थी उसकी जिसको हमने सर पर बिठा रखा था। साथ बैठने की औकात नही थी उसकी जिसको हमने सर पर बिठा रखा था।
अभी तो दिन है प्यारे, अभी रात की बात न करना! अभी तो दिन है प्यारे, अभी रात की बात न करना!
आज मै पौधों से एक बात पूछता हूं, उनकी नजरों में अपनी औकात पूछता हूं। आज मै पौधों से एक बात पूछता हूं, उनकी नजरों में अपनी औकात पूछता हूं।
समय सदा बलवान, घड़ी बलवान नहीं। पल पल परिवर्तन ही इसे सुहाता है।। निकल गया जो वक्त, नहीं फिर आ... समय सदा बलवान, घड़ी बलवान नहीं। पल पल परिवर्तन ही इसे सुहाता है।। निकल गया...